top of page

हिन्दुहृदय सम्राट स्व: श्री बाला साहेब ठाकरे जी ने 19 जून 1966 को शिवसेना की नींव रखी थी। श्री बाला साहेब ठाकरे मूल रूप से कार्टूनिस्ट थे और राजनीतिक विषयों पर तीखे कटाक्ष करते थे। शिवसेना यूं तो कई राज्यों में सक्रिय है, लेकिन इसका राजनीतिक प्रभाव महाराष्ट्र प्रदेश से शुरू हुआ था ।

वर्तमान में इसके प्रमुख बाला साहेब के प्रिय शिष्य श्री एकनाथ शिंदे जी हैं, जोकि वर्तमान में महाराष्ट्र प्रदेश के मुख्यमंत्री भी है। शिवसेना का चुनाव चिह्न धनुष-बाण है, जबकि प्रतीक चिह्न बाघ है। शिवसेना की पहचान हिन्दूवादी राजनीतिक दल के रूप में है। वर्ष 2018 के अंत में शिवसेना ने अयोध्या में राम जन्मभूमि मुद्दे को हवा दी थी।

शिवसेना के गठन के समय बाला साहेब ठाकरे ने नारा दिया था, 'अंशी टके समाजकरण, वीस टके राजकरण'। अर्थात 80 प्रतिशत समाज और 20 फीसदी राजनीति। 'भूमिपुत्र' (स्थानीय निवासी) के मुद्दे को लंबे समय तक समर्थन नहीं मिलने से शिवसेना ने हिन्दुत्व के मुद्दे को अपना लिया, जिस पर वह अब तक कायम है।

शिवसेना ने पहला चुनाव 1971 में लड़ा था लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। 1989 के लोकसभा चुनाव में पहली बार शिवसेना का सांसद चुना गया। महाराष्ट्र विधानसभा का चुनाव शिवसेना ने पहली बार 1990 में लड़ा जिसमें उसके 52 विधायक चुनकर आए।

पार्टी के पास 16वीं लोकसभा में 18 सांसद और राज्यसभा में तीन सांसद हैं। शिवसेना के दो नेता मनोहर जोशी और नारायण राणे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) पर भी लंबे समय से शिवसेना का कब्जा है। 

पार्टी ने भाजपा के साथ 1989 में गठबंधन किया जो कि आज तक जारी है। 2014 का विधानसभा चुनाव दोनों दलों ने अलग होकर लड़ा था। उसके बाद से ही दोनों के रिश्ते अच्छे नहीं चल रहे हैं। रिश्तों में खटास के चलते 2019 के लोकसभा चुनाव में गठबंधन को लेकर अभी असमंजस बना हुआ है। वैचारिक समानता के चलते भाजपा-शिवसेना का सबसे पुराना गठबंधन है।

शिवसेना का इतिहास 

about copy.jpg
0d0f6f19f5d00a6392de53ff3e39c639 copy.png
0d0f6f19f5d00a6392de53ff3e39c639 copy_ed
bottom of page